कालसर्प दोष पूजा और मंगल पूजा1. कालसर्प दोष पूजाकालसर्प दोष तब बनता है जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। इसे दूर करने के लिए विशेष पूजा की जाती है।✅ पूजा विधि:त्र्यंबकेश्वर (नासिक), उज्जैन, वाराणसी, और महाकालेश्वर में विशेष रूप से की जाती है।भगवान शिव, नाग देवता और कालसर्प योग निवारण मंत्रों का जाप किया जाता है।नाग नागिन जोड़े की पूजा कर उन्हें जल में प्रवाहित किया जाता है।शिवलिंग पर अभिषेक, रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।✅ लाभ:जीवन में बाधाओं और संकटों से मुक्ति।विवाह, करियर और धन संबंधी समस्याओं में राहत।मानसिक शांति और समृद्धि।---2. मंगल पूजामंगल दोष तब बनता है जब जन्म कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, विशेष रूप से प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में। इसे मांगलिक दोष भी कहते हैं।✅ पूजा विधि:हनुमान जी, भगवान शिव और कुज ग्रह (मंगल) की पूजा की जाती है।मंगल बीज मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ लाभकारी होता है।शिवलिंग पर जल, दूध, शहद और बेलपत्र अर्पित किया जाता है।✅ लाभ:वैवाहिक जीवन में सुख और स्थिरता।क्रोध, अशांति और दुर्घटनाओं से बचाव।करियर और व्यवसाय में सफलता।अगर आप किसी विशेष स्थान पर पूजा करवाना चाहते हैं, तो मुझे बताएं, मैं सही स्थान और पंडित की जानकारी खोज सकता हूँ। पंडित मनोज भार्गव उज्जैन 9644062819 सभी कार्य विधान से किए जाते हैं

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